लोग हैं..

तू अपनी खूबियाँ ढूंढ,
कमियाँ निकालने के लिये
                                    लोग हैं..

अगर रखना है कदम, तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिये 
                                  लोग हैं...

सपने देखने हैं तो ऊँचे देख,
निचा दिखाने के लिये 
                                  लोग हैं...

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिये 
                                  लोग हैं...

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिये 
                                  लोग हैं...

प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिये 
                                  लोग हैं...

रहना है तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिये 
                                  लोग हैं...

भरोसा रखना है तो खुद पर रख,
शक करने के लिये 
                                  लोग हैं...

तू बस सँवार ले खुद को,
आईना दिखाने के लिये 
                                  लोग हैं...

खुद की अलग पहचान बना,
भीड़ में चलने के लिये 
                                  लोग हैं...

आप कुछ करके दिखाव दुनियाँ को,
तालियाँ बजाने के लिये 
                                  लोग हैं........
  • – कु.रमेश पवार ( पंढरपूर )
अमित गुरव
अमित गुरव
मुख्यसंपादक
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